Tuesday, April 3, 2018

पोलट्री मे जीवंत रहने का उपाय /Survival in Poultry.

पोलट्री मे जीवंत रहने का उपाय -
पिछले कुछ म्हीने ब्रोईलेर फार्मर  के लिए काफी निराशl जनक रहे l चुजे के रेट काफी ऊँचे एवं ब्रोईलेर के रेट कम रहे l फार्मर भाई  नुक्सान उठा रहे है l

ईसका एक मात्र उपाय अपनी फीड बनाना है जो 6-7 रूपये सस्ती पड़ती है l एक जानवर जो  3 किलो फीड खाता है अपनी फीड के रेट मे ही आपको 20-21रूपय का मुनाफा दे सकता है l 

चुजे के और त्यार माल के भाव आप के हाथ मे नहीं है प्रंतु आप अपनी फीड त्यार करके कम से कम 20रूपय का मुनाफा तो निश्चीत कर ही सकते हैं l 

इसके इलावा आजकल ब्रोइलेर के अतिरिक्त कुछ देसी नस्लें भी अछि कारगर हो रही है जेसे क्रोइल्रर, क्ड्कनाथ आदी । येह धीरे त्यार होती हैं, इनमे बिमारी कम आती है और इसमे त्य्यार माल का रेट भी सही मिलता है । इस माल की परचून सेल भी सम्भव है ।  

कक्लर पालन भी ब्रोइलेर फारमिंग के इलावा आजकल काफी पपुलर हो रहा है।

इस लिये जो भाई पैसा लगाकर , शेड बनाकर अपने को फंसा मेहसूस कर रहे है, वो उपर दिये सुझावों पर विचार करें।

Broiler rates for the last 6 months are incurring loses to the broiler farmer. Hatcheries have cartelised and are selling chicks at very high rates. Similarly  farmer have no say in the pricing of the ready chickens.
Farmer has no option but to improve his efficiency only so that the production cost can be brought down.
A farmer gives a margin of approx. Rs 20/- per bird to a feed manufacturer by using his feed whereas he himself is not assured of a margin of Rs 20/- per bird of himself.
For long survival farmer will have to diversify in to feed making and become independent. It is the only way he can break the nexus between Hatceries/Feed makers and the traders.

Other options available are to diversify in kroiler, kadaknath farming. These are very reliable breeds, with better returns, and good resistance to the diseases.

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