Thursday, April 12, 2018

मिलक फॉर्मुला

मिलक फॉर्मुला
हमारे देश मे ज्यादा तर पशु आहार स्थानिय मिलने वाले खल ,अन्नाज एवं त्तवो से  ही बानाया जाता है l ज़िसकी वज़ह से आम तोर पर उसमे कुछ ज़रूरी प्रोटीन, मिनेरल आदि की  क्मी रहने से उसके रीज़ल्ट अछे नही आते l  स्थानिय मिलने वाले खल और त्तव की वहां के पशुओ मे कमी नही होती l  कमी तो जो त्तव उसको नही मिल रहे l  कुछ त्तव मोसम की वजह से भी अनीवार्य है l
अगर बिना कुछ ज्यादा लागत के इन्हे पूरा कर लिया जाय तो रीजल्ट सुधारे जा सकते हैं l 
हमारा मिलक फारमुला इसी दिशा मे एक कदम  है l
इसमे अमिनोऐसीद है जो की पशुओ के रुमन मे खत्म हो जाते हैं l इसके इलावा इसमे विटा मिन, क्लशीय़ाम, लिविर टानिक भी हैं l  यह एक हरबल मिशरन है ज़िसका कोई साइड एफक्ट नही है l
हम कई अछी कम्पनी को भी दे रहे हैं l  इसको अपनी फीड मे 150-200 ग्राम  प्रति 100 किलो  मे मिलायें l आप को नीराशा नही होगी l 

कुछ लोग बाईपास फैट और बाईपास प्रोटीन का शुझाव देते है जो की एसे है मानो एक दिल के मरीज को बाईपास सरजरी का शुझाव देना ब्जाय उसको सही पोषण से ठीक करना l 
हमारा संप्रक 9896040988,9315567495 है l  Our website www.gpfindia.in
Email- gpfindia.in@gmail.com

Our facebook page 

https://www.facebook.com/Cattle-Feed-Supplements-India-1863297380600754/

Tuesday, April 3, 2018

पोलट्री मे जीवंत रहने का उपाय /Survival in Poultry.

पोलट्री मे जीवंत रहने का उपाय -
पिछले कुछ म्हीने ब्रोईलेर फार्मर  के लिए काफी निराशl जनक रहे l चुजे के रेट काफी ऊँचे एवं ब्रोईलेर के रेट कम रहे l फार्मर भाई  नुक्सान उठा रहे है l

ईसका एक मात्र उपाय अपनी फीड बनाना है जो 6-7 रूपये सस्ती पड़ती है l एक जानवर जो  3 किलो फीड खाता है अपनी फीड के रेट मे ही आपको 20-21रूपय का मुनाफा दे सकता है l 

चुजे के और त्यार माल के भाव आप के हाथ मे नहीं है प्रंतु आप अपनी फीड त्यार करके कम से कम 20रूपय का मुनाफा तो निश्चीत कर ही सकते हैं l 

इसके इलावा आजकल ब्रोइलेर के अतिरिक्त कुछ देसी नस्लें भी अछि कारगर हो रही है जेसे क्रोइल्रर, क्ड्कनाथ आदी । येह धीरे त्यार होती हैं, इनमे बिमारी कम आती है और इसमे त्य्यार माल का रेट भी सही मिलता है । इस माल की परचून सेल भी सम्भव है ।  

कक्लर पालन भी ब्रोइलेर फारमिंग के इलावा आजकल काफी पपुलर हो रहा है।

इस लिये जो भाई पैसा लगाकर , शेड बनाकर अपने को फंसा मेहसूस कर रहे है, वो उपर दिये सुझावों पर विचार करें।

Broiler rates for the last 6 months are incurring loses to the broiler farmer. Hatcheries have cartelised and are selling chicks at very high rates. Similarly  farmer have no say in the pricing of the ready chickens.
Farmer has no option but to improve his efficiency only so that the production cost can be brought down.
A farmer gives a margin of approx. Rs 20/- per bird to a feed manufacturer by using his feed whereas he himself is not assured of a margin of Rs 20/- per bird of himself.
For long survival farmer will have to diversify in to feed making and become independent. It is the only way he can break the nexus between Hatceries/Feed makers and the traders.

Other options available are to diversify in kroiler, kadaknath farming. These are very reliable breeds, with better returns, and good resistance to the diseases.

Monday, April 2, 2018

Summer Stress Vs Nutrition

Summer and winter stress are two terms that are very difficult to understand. 

We are studying in terms of change in nutritional requirements and their supplementation. A feed composition or a product that was giving you excellent results earlier to this stress, suddenly fail to give desired results with the onset of these conditions. You suspect ingredient quality etc.
*** In simple words to understand, a living animal can even give good results with minimum of nutrition at the temperature range of 65-70°F or 18-20°C.  

As the temperature starts going above or below this range, their nutritional requirements start increasing. As a result compostions which were giving good results earlier fail to give matching results now. In peak summer when the temperature crosses 38-40°C along with high humidity, the acidosis conditions gets set in as a result the nutritional requirements of a animal changes drastically. Supplementation of Alkaline minerals and proteins give the results. Density of vitamins, minerals, amino acids and the energy levels of the feed need a major correction.
Similar is the conditions in peak winter where temperature goes below 8-10°C.
Thus besides using good products, a farmer need to co-relate their results with the environmental conditions . Temperature above 50 is severely fatal and no nutritional remedy.